हरिहरन श्री हनुमान चालीसा - श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारी बरनौ रघुबर बिमल जसु, जो दायकू फल चारि बुध्दि हीन तनु जानिके सुमिरौ पवन पुर जाई | जहा जनम हरी भक्त कहाई || और देवता चित्त न धरई | हनुमत सेई सर्व सुख करई|| संकट कटे मिटे सब पीरा | जो सुमिरै हनुमत बलबीरा || जय जय जय हनुमान गोसाई | कृपा करहु गुरु देव के नाइ || जो सत बार.